Saturday, May 30, 2009
फतेह सागर झील
पिछोला झील के उत्तर में स्थित इस सुंदर झील का निर्माण महाराजा जयसिंह ने 1678 में करवाया था महाराजा फतेह सिंह ने इस झील का पुनर्निर्माण करवाया था इसीलिए इसका नाम फतेह सागर झील पड़ा 3 तरफ़ पहाडियों से घिरी यह झील एक नहर द्वारा पिछोला झील से जुड़ी है झील के बिच में नेहरू पार्क है पार्क में एक खूबसूरत रेस्तरां बना है यहां पहुंचने के लिए नाव का सहारा लेना पड़ता है जो कि किराए पर उपलब्ध रहती है udaipur rajasthan
Read more...Friday, May 29, 2009
सहेलीयों की बावडी़
Thursday, May 28, 2009
पिछौला लैक
इस झील की खूबसूरती का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता हे कि इसकी खूबसूरती से आकर्शित होकर महाराजा उदय सिहं ने सिटी पैलेस इसके किनारे पर बनवाया था । बद में इस झील का विस्तार हुआ ओर इसके बीच में जल महल, जग मंदिर, जग निवास का निर्माण हुआ । इस खूबसूरत झील में नोका विहार का आनंद भी लीया जा सकता है । india rajasthan udaipur
Read more...Wednesday, May 27, 2009
सिटी पैलेस
सिटी पैलेस की शुरूआत महाराणा उदय सिंह ने 1569 में करवाई उसके बाद के कई शासकों ने इसे अपने-अपने शासन काल में बनवाया । यह महल 11 चरणो में पूरा हुआ लेकिन आश्चर्य यह हे कि इसके कई चरणो में बनने के बावजूद इसमें तनिक भी अंतर नहीं है । सिटी पैलेस चीनी व यूरोपियन वास्तुकला का बेहतरीन नमूना है । किले के अंदर गलियारों, मंडपों, प्रांगणो व लटकते बगीचों का समूह है । इसमें शाही साजोसामान का बडा़ संग्रहालय भी है जिसे आज भी बड़े करीने से सुरक्षित रखा गया है । sity palace udaipur rajasthan india
Tuesday, May 26, 2009
उदयपुर
अरावली की हरी भरी पहाडी़यों से घिरी झीलों के शहर उदयपुर की स्थापना 1599 में महाराजा उदय सिहं ने की थी । झीलों से भरे इस शहर को पूर्व का वेनिस भी कहा जाता है । महलों, झीलों एंव बगीचों के इस शहर का अतीत काफी वैभवपूर्ण रहा है । उदयपुर के प्रमुख स्थल हें सिटी पैलेस, पिछोला लेक, लेक पैलेस, सहेलीयों की बावडी़, जगमंदिर पैलेस, फतेह सागर झील, महाराणा प्रताप स्मारक, भारतीय लोक कला मंडल आदि । udaipur
Read more...जयपुर
राजस्थान पर्यटन की द्र्श्टी से पूरे विश्व में एक अलग स्थान रखता है लेकिन शानदार महलों,ऊंची प्राचीर व दुर्गों वाला शहर जयपुर राजस्थान में पर्यटन का केंद्र है। यह शहर चारों ओर से परकोटों (दीवारौं) से घिरा है,जिस में प्रवेश के लीये 7 दरवाजे बने हुए हैं 1876 मैं प्रिंस आफ वेल्स के स्वागत में महाराजा सवाई मानसिहं ने इस शहर को गुलाबी रंग से रंगवा दीया था तभी से इस शहरका नाम गुलाबी नगरी (पिंक सिटी) पड़ गया। जयपुर के कछ प्रमुख दर्शनीय स्थल हैं हवा महल, जयगढ़ किला, आमेर, सिटी पैलेस, जंतर मंतर, जल महल आदि ।
आमेर का किला
इस किले का निर्माण राजा मानसिंह ने 1952 में करवाया था उसके बाद के कई राजाओं ने किले के विस्तार का काम करवाया । इस किले में नक्काशीदार जालीयों ओर बारीक शीशों का नायाब काम कीया हुआ है । आमेर के अंदर बना शीशमहल देखने लायक हे ओर दीवान-ए-आम व सुखनिवास महल भी आकर्शण के केंद्र हें । किले तक पहुंचने के लीये हाथी की सवारी भी की जा सकती है ।
हवा महल का निर्माण 1799 में महाराज सवाई प्रताप सिहं ने सिर्फ इसलीये करवाया था ताकि रानीयां व राजकुमारीयां विशेष मोकों पर निकलने वाले जुलूस व शहर आदि को देख सकें । शहर की चारदीवारी के बीच स्थित इस खूबसूरत भवन में 152 खिड़कीयां व जालीदार छज्जे हैं यह भवन राजपूत व मुगल कला का शानदार नमूना है इसमे बनाए गए अनगिनत हवादार झरोखोंके कारण इसका नाम हवा महल पड़ा ।
सिटी पैलेस
राजस्थानी व मुगल शिल्प की रचना सिटी पैलेस शहर के बीचौं बीच स्थित है । सफेद अंदर संगमरमर के खंबों पर टिके नक्काशीदार मेहराब व रंगीन पत्थरौं की आकर्शक कलाक्रतीयौं से सजे प्रवेश द्वार हैं। इसमें एक म्युजियम भी है जिसमे राजस्थानी व मुगलौं की पोशाकौं, हथियारों, मीनाकारी व जवाहरातों के जडा़ऊ काम वाली तलवारों का संग्रह है । महल में एक कलादीर्धा भी है जिसमे कालीनों व शाही साजो सामान का दुर्लभ संग्रह है । सिटी पैलेस के बीच स्थित चंद्र महल से बगीचे व शहर का खूबसूरत नजारा लीया जा सकता है ।
जल महलआमेर जाते समय रास्ते मे पड़ती है मानसागर झील उसके बीच बने हुए महल को कहा जाता है जल महल । शाम के समय यहां का नजारा बडा़ ही सुंदर होता है यहां अक्सर पर्यटकों की भीड़ बनी रहती है
जंतर मंतरसिटी पैलेस के बाहर एक खुले मैदान में बनी इस वेधशाला क निर्माण राजा जय सिंह द्वतीय ने 1724 में करवाया था जो उस समय बनी देश भर की 5 वेधशालाओं में सबसे विशाल है इसके जटिल यंत्रों का उपयोग समय, सूर्योदय एंव सूर्यास्त, तारों एंव नछत्रों की स्थिती, तथा सूर्य की दूरी को नापने के लीये कीया जाता था । आज भी ये यंत्र नक्षत्रों सटीक गंणना करने मे सक्षम है । इनमें कुछ से कुछ यंत्रों का इस्तेमाल आज भी कीया जाता है । इसके अलावा जयपुर में अल्बर्ट हाल, बिड़ला तारा मंडल व चोखी ढाणी देखने लायक हें ।
Read more...Tuesday, May 19, 2009
आमेर का किला
इस किले का निर्माण राजा मानसिंह ने 1952 में करवाया था उसके बाद के कई राजाओं ने किले के विस्तार का काम करवाया । इस किले में नक्काशीदार जालीयों ओर बारीक शीशों का नायाब काम कीया हुआ है । आमेर के अंदर बना शीशमहल देखने लायक हे ओर दीवान-ए-आम व सुखनिवास महल भी आकर्शण के केंद्र हें । किले तक पहुंचने के लीये हाथी की सवारी भी की जा सकती है । rajasthan jaipur amer
Read more...Sunday, May 17, 2009
जंतर मंतर
सिटी पैलेस के बाहर एक खुले मैदान में बनी इस वेधशाला क निर्माण राजा जय सिंह द्वतीय ने 1724 में करवाया था जो उस समय बनी देश भर की 5 वेधशालाओं में सबसे विशाल है इसके जटिल यंत्रों का उपयोग समय, सूर्योदय एंव सूर्यास्त, तारों एंव नछत्रों की स्थिती, तथा सूर्य की दूरी को नापने के लीये कीया जाता था । आज भी ये यंत्र नक्षत्रों सटीक गंणना करने मे सक्षम है । इनमें कुछ से कुछ यंत्रों का इस्तेमाल आज भी कीया जाता है ।
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जल महल
आमेर जाते समय रास्ते मे पड़ती है मानसागर झील उसके बीच बने हुए महल को कहा जाता है जल महल । शाम के समय यहां का नजारा बडा़ ही सुंदर होता है यहां अक्सर पर्यटकों की भीड़ बनी रहती है
Read more...Friday, May 15, 2009
सिटी पैलेस
राजस्थानी व मुगल शिल्प की रचना सिटी पैलेस शहर के बीचौं बीच स्थित है । सफेद अंदर संगमरमर के खंबों पर टिके नक्काशीदार मेहराब व रंगीन पत्थरौं की आकर्शक कलाक्रतीयौं से सजे प्रवेश द्वार हैं। इसमें एक म्युजियम भी है जिसमे राजस्थानी व मुगलौं की पोशाकौं, हथियारों, मीनाकारी व जवाहरातों के जडा़ऊ काम वाली तलवारों का संग्रह है । महल में एक कलादीर्धा भी है जिसमे कालीनों व शाही साजो सामान का दुर्लभ संग्रह है । सिटी पैलेस के बीच स्थित चंद्र महल से बगीचे व शहर का खूबसूरत नजारा लीया जा सकता है ।
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मेयो कोलेज
मेयो कोलेज
इस कोलेज की स्थापना रियासतों के राजकुमारों को अंग्रेजी शिक्षा हेतु की गई थी आज भी यहां कई बडे़ घरानो के बच्चे शिक्षा प्राप्त करते हैं इसकी भव्य इमारत सफेद संगमरमर से निर्मित है ओर कारीगिरी का शानादार नमूना है ajmer
Wednesday, May 13, 2009
हवा महल
हवा महल का निर्माण 1799 में महाराज सवाई प्रताप सिहं ने सिर्फ इसलीये करवाया था ताकि रानीयां व राजकुमारीयां विशेष मोकों पर निकलने वाले जुलूस व शहर आदि को देख सकें । शहर की चारदीवारी के बीच स्थित इस खूबसूरत भवन में 152 खिड़कीयां व जालीदार छज्जे हैं यह भवन राजपूत व मुगल कला का शानदार नमूना है इसमे बनाए गए अनगिनत हवादार झरोखोंके कारण इसका नाम हवा महल पड़ा । rajasthan jaipur hawa mahal
Read more...अजमेर
अरावली पर्वत माला के बीच बसा शहर अजमेर मारवाड पर्यटन सर्किट का प्रमुख हिस्सा है तथा इसे राजस्थान की सांस्क्रतिक राजधानी भी कहा जाता है। अजमेर के प्रमुख दर्शनीय स्थल हैं पुष्कर, दरगाह, तारागढ़, ढाई दिन का झोपडा, सोनी जी की नासीया, अकबर का किला, मेयो कोलेज, दोलत बाग आदि । ajmer
Read more...जयपुर
राजस्थान पर्यटन की द्र्श्टी से पूरे विश्व में एक अलग स्थान रखता है लेकिन शानदार महलों,ऊंची प्राचीर व दुर्गों वाला शहर जयपुर राजस्थान में पर्यटन का केंद्र है। यह शहर चारों ओर से परकोटों (दीवारौं) से घिरा है,जिस में प्रवेश के लीये 7 दरवाजे बने हुए हैं 1876 मैं प्रिंस आफ वेल्स के स्वागत में महाराजा सवाई मानसिहं ने इस शहर को गुलाबी रंग से रंगवा दीया था तभी से इस शहरका नाम गुलाबी नगरी (पिंक सिटी) पड़ गया। जयपुर के कछ प्रमुख दर्शनीय स्थल हैं हवा महल, जयगढ़ किला, आमेर, सिटी पैलेस, जंतर मंतर, जल महल आदि । rajasthan jaipur
Read more...रंगीलो राजस्थान
रेतीले धोरों की धरती राजस्थान यहां विश्व की पुरातन पर्वत श्रेणियों में प्रमुख अरावली पर्वतमाला है जो कि पर्यटन का केन्द्र है,इस पर्वतमाला मे माउंट आबू और विश्वविख्यात दिलवाड़ा मंदिर स्थित है। पूर्वी राजस्थान में दो बाघ अभयारण्य, रणथम्भौर एवम् सरिस्का हैं और भरतपुर के समीप केवलादेव राष्ट्रीय उध्यान है,जो पक्षियों की रक्षार्थ निर्मित किया गया है।वेसे तो पूरा राजस्थान पर्यटन की द्रश्टी से भरा पूरा है मगर फिर भी रंगीले राजस्थान के कछ प्रमुख दर्शनीय स्थल हैं जयपुर, अजमेर, जोधपुर, उदयपुर, माउंटआबू, जैसलमेर, पुश्कर, रणथम्भौर, सरिस्का, केवलादेव राष्ट्रीय उध्यान आदि।
rajasthan
Tuesday, May 5, 2009
अजमेर
अरावली पर्वत माला के बीच बसा शहर अजमेर मारवाड पर्यटन सर्किट का प्रमुख हिस्सा है तथा इसे राजस्थान की सांस्क्रतिक राजधानी भी कहा जाता है। ajmer sharif rajasthan
दरगाह अजमेर शरीफ का भारत में बड़ा महत्व है। खास बात यह भी है कि ख्वाजा पर हर धर्म के लोगों का विश्वास है। यहाँ आने वाले जायरीन चाहे वे किसी भी मजहब के क्यों न हों, ख्वाजा के दर पर दस्तक देने जरूर आते हैं ।यह स्टेशन से 2 किमी़. दूर घनी आबादी के बीच स्थित है । अंदर सफेद संगमरमरी शाहजहांनी मस्जिद,बारीक कारीगरी युक्त बेगमी दालान,जन्नती दरवाजा,बुलंद दरवाजा ओर 2 अकबरकालीन देग हैं इन देगों में काजू, बादाम, पिस्ता, इलायची, केसर के साथ चावल पकाया जाता है और गरीबों में बाँटा जाता है।
आनासागर झील
शहर के बीच बनी यह सुंदर कृतिम झील यहाँ का सबसे रमणीक स्थल है । इस झील का निर्माण राजा अरणोराज ने 1135 से 1150 के बीच करवाया था । राजा अरणोराज सम्राट प्रथ्वीराज चोहन के पिता थे । बाद में मुग़ल शासक ने इसके किनारे एक शाही बाग बनवाया जिसे दौलत बाग व सुभाष उद्यान के नम से जाना जाता है । साथ ही यहाँ शाहजहाँ ने झील की पाल पर संगमरमर की सुंदर बारहदरी का निर्माण करवा कर इस झील की सुन्दरता में चार चाँद लगा दिए । यहाँ मनोरंजन के लिए बच्चों के लिए झूले, मिनी ट्रेन और बोटिंग अदि की सुविधा है ।
तारागड़ का किला
इस किले का निर्माण 11वीं सदी में सम्राट अजय पाल चोहान ने मुग़लों के आक्रमणों से रक्षा हेतु करवाया था । यह किला दरगाह के पीछे की पहाड़ी पर स्थित है । मुगलकाल में यह किला सामरिक द्रष्टिकोण से काफी महत्वपूर्ण था मगर अब यह सिर्फ़ नाम का किला ही रह गया है । यहाँ सिर्फ़ जर्जर बुर्ज, दरवाजे और खँडहर ही शेष बचे हैं । किले में एक प्रसिद्ध दरगाह और 7 पानी के झालरे भी बने हुए हैं । यहाँ एक मीठे नीम का पेड़ भी है कहा जाता है जिन लोगों को संतान नही होती यदि वो इसका फल खा लें तो उनकी यह तमन्ना पूरी हो जाती है ।
ढाई दिन का झोपडा
सोनी जी की नसियां
करोली के लाल पत्थरों से बना यह खूबसूरत दिगंबर मंदिर जैन तीर्थकर आदिनाथ का मंदिर है। लाल पत्थरों से बना होने के कारण इसे लाल मंदिर भी कहा जाता है । इसमें एक स्वर्ण नगरी भी हैजिसमें जैन धर्म से सम्बंधित पोराणिक द्रश्य, अयोध्या नगरी, प्रयागराज के द्रश्य अंकित हैं । यह स्वर्ण नगरी अपनी बारीक़ कारीगिरी और पिच्चीकारी के लीये प्रसिद्दहै।
अकबर का किला (राजकीय संग्रहालय)
मेयो कोलेज