जैसलमेर
राजस्थान के पश्चिमी छोर पर स्थित जैसलमेर रेतीली भूमि होने की वजह से पहले "मेर" के नाम से जाना जाता था । 1156 में यहाँ के राजपूत राव जेसल ने जैसलमेर को अपनी राजधानी बनाया और 12 वर्ष तक शासन किया । राव जेसल के नाम इस जगह का नाम बदल कर जैसलमेर हो गया । जैसलमेर मध्य युग में व्यापारियों का प्रमुख पड़ाव हुआ करता था और काफी संपन्न था कई व्यापारियों ने यहाँ अपने महल और हवेलियाँ बनवाए थे । रेतीले राजस्थान को परिभाषित कराने वाला जेसलमेर अपनी शानदार नक्काशीदार हवेलियों, गलियों , और प्राचीन मंदिरों की वजह से पर्यटकों को खूब आकर्षित करता है । jaihgggdsalmer,राजस hthan,
सोनार का किला
जैसलमेर की त्रिकुटा पहाड़ी पर बने इस विशाल किले का निर्माण 1156 में राव जैसल ने करवाया था । पीले बलुआ पत्थरों से बना यह किला इस उजाड़ रेगिस्तान में किसी संतरी की भांति खड़ा है । यह किला सूर्य की रोशनी में सोने के समान चमकता है इसी सुनहरी आभा के कारण इस का नाम सोनार का किला पड़ा । इस किले के 99 बुर्ज हें तथा सूरज पोल, अक्षय पोल, गणेश पोल एंव हवा पोल 4 प्रमुख द्वार हैं । इस किले के परकोटे में पूरा नगर समाया हुआ है । इस किले में कई संकरी गलियां हैं जिनमें कई ख़ूबसूरत हवेलियाँ हैं । jaisalmer RAJASTHAN
पटवों की हवेली
जैसलमेर के धनी व्यापारियों ने यहाँ अपनी महलनुमा हवेलियाँ बनवाई थी इन हवेलियों की दीवारों ,खिड़कियों, छज्जों, में इतनी बारीक़ जालियों, नक्काशी और बेलबूटों का महीन और सुंदर कम कीया गया है कि आँखें विस्मित हो जाती हैं । यह हवेलियाँ लगभग 300 साल पुरानी हैं इन्हें आज भी पर्यटकों के लिए संभाल के रखा गया है । इन हवेलियों में सबसे विशाल व भव्य हवेलियों में से एक है पटवों की हवेली। 1805 में बनी यह हवेली 7 छोटी हवेलियों का समूह है एंव यहाँ की सभी हवेलियों में सबसे प्राचीन है । सरकार द्वारा संरक्षित यह हवेली उस समय की शानो-शोकत भरी जीवन शैली की मिसाल है । jaisalmer rajasthan
सालिम सिंह की हवेली
महाराजा रावल गजसिंह के प्रधानमंत्री सालिम सिंह के द्वारा बनवाई गई इस 200 साल पुरानी हवेली में अलग अलग डिजाइनों वाले 38 छज्जे (बालकनी ) बने हुए हैं । इस हवेली में मोर के आकार के बारीक नक्काशीदार कई प्रकोष्ठ बने हैं । इस हवेली की शानदार कारीगरी पर्यटकों को खूब लुभाती है ये हवेलियाँ विदेशी पर्यटकों का खास आकर्षण रहती हैं ।
गड़सीसर झील
रेगिस्तानी समुद्र के बीच बनी यह खूबसूरत झील एक अनोखी अनुभूति देती है । यह प्राकर्तिक वर्षा के पानी की कृतिम झील है जो पर्यटकों का विशेष आकर्षण है । यह झील नगर के दक्षिणी हिस्से में स्थित है जो कभी जैसलमेर का प्रवेश द्वार हुआ करता था ।
बड़ा बाग़
बड़ा बाग़ का निर्माण महारावल जैत सिंह द्वारा 16 वीं सदी में शुरू करवाया गया था लेकिन ये पूरा उनके पुत्र लूनाकरण के द्वारा हुआ । अपने नाम के अनुसार ही यह उस समय का सबसे बड़ा बाग़ था । इस बाग़ में यहाँ के शासकों ने अपने पूर्वजों की याद में स्मारक बनवाए थे इन स्मारकों को छतरी कहा जाता है । इन छतरियों में सबसे पुरानी महाराजा जैत सिंह की छतरी है ये छतरी पर्यटकों का विशेष आकर्षण है ।
सैम सैंड ड्यूंस
जैसलमेर आएं ओर बालू के टीले न घूमे तो ये यात्रा कैसे पूरी हो सकती है । जैसलमेर से 42 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है सैम सैंड ड्यूंस (बालू के टीले) ये रेत के टीलों का अथाह सागर असल राजस्थान का एहसास कराता है । यहां से सूर्यास्त का नजारा बड़ा ही खूबसूरत दिखता है एंव यहां मरुस्थल में ऊंट सवारी का मजा ही कुछ और है । यहां कई सांस्क्रतिक कार्यक्रम होते हैं उनका आनन्द यहां बने निजी व राजस्थान पर्यटन विकास निगम (R T D C) के टैंटो़ में रातगुजार कर लीया जा सकता है । वैसे यहां ठहरने की कोई और विशेश व्यवस्था नहीं है ।
4 comments:
भाई हिन्दी मे भे पर्यटन से सम्बन्धित इतना कुछ आ रहा है इससे खुशी हुई. धन्यवादा
जैसलमेर वास्तव में ही बहुत सुन्दर है.
kabhi dekhnea ka maucka mila to jarur ghum kar aaunga
राजस्थान का ऐतिहासिक नगर जैसलमेर सदा ही लोगों के मन में एक जादुई अहसास जगाता रहा है. यहाँ के विशाल किले, हवेलियाँ, झीलें और मेले आकर्षण का केंद्र हैं. यहाँ की संस्कृति व रहन सहन नज़दीक से देखना एक सपने के पूरा होने जैसा है. यह विश्व धरोहर का हिस्सा भी हैं. सलाम जैसलमेर.
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