माउंट आबू
सिरोही जिले में गुजरात की सीमा से सटी अरावली पर्वत श्रंखला के दक्षिण पश्चिम में स्थित माउन्ट आबू राजस्थान का एक मात्र पर्वतीय पर्यटन स्थल है । कहा जाता है की इस स्थान पर 33 करोड़ देवी देवता विचरण करते हैं शायद इसीलिए इस स्थान को देव भूमि कहा जाता है । यहाँ वो सब कुछ है जो एक hill stations पर होना चाहिए झील का किनारा , ऊँचे घने वृक्ष, ऊँचे-नीचे टेड़े-मेढ़े रास्ते, डूबते सूरज का नजारा सब कुछ मिलेगा यहाँ । समुद्र तल से 1219 मीटर की ऊंचाई पर स्थित माउन्ट आबू में ज्यादातर लोग गर्मियों में आते हैं । वेसे तो यहाँ हर समय सेलानी आते हैं मगर गर्मियों में यहाँ हर समय सेलानियों का सेलाब रहता है
नक्की झील
नक्की झील mount abu का प्रमुख आकर्षण है इस सुंदर झील के किनारे एक सुंदर बगीचा है । यहाँ शाम के समय घूमने और बोटिंग के लिए पर्यटकों का हुजूम उमड़ पड़ता है । नक्की झील राजस्थान की सबसे ऊँची झील है एक किवदंती है कि इसका निर्माण देवताओं ने अपने नाखूनों से खोद कर किया था इसीलिए इसका नाम नक्की झील पड़ा । यह झील सर्दियों में अक्सर जम जाया करती है . झील के किनारे ही यहाँ का मुख्य बाज़ार है जहाँ शाम के समय मेला सा लगा रहता है । इस बाजार की वस्तुओं में अधिकतर राजस्थानी व गुजराती छाप नजर आती है ।
देलवाड़ा मंदिर
नक्की झील से 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित यह जेन मंदिर पांच मंदिरों का समूह है । बाहर से दिखने में साधारण मगर अदंर संगमरमर पर शानदार कारीगिरी देखते ही मन प्रशंषा से भर उठता है । इस मंदिर का निर्माण 11वीं से 13वीं सदी के बीच हुआ था । प्रमुख मंदिर में 52 छोटे मंदिरों वाला गलियारा है जिनमे प्रत्येक में जेन तीर्थकरों की प्रतिमाएं स्थापित हैं । कहा जाता है कि इस मंदिर को बनाने में 1500 कारीगरों ने 14 वर्ष तक काम किया था तब जाकर यह खूबसूरत मंदिर तैयार हुआ । उस समय इस बनाने में करीब 12 करोड़ 53 लाख रुपए खर्च हुए थे ।
अचलगड़ किलादेलवाड़ा मंदिर से 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित यह किला परमार राजाओं द्वारा बनवाया गया था बाद में राणा कुंभा ने इसका पुनर्निर्माण करवाया । यहाँ भगवान शिव का मंदिर है जो कि अचलेश्वर महादेव के नाम से जाना जाता है । शिव के साथ ही यहाँ उनकी सवारी नंदी के दर्शन भी किए जा सकते हैं कहा जाता है कि यहाँ पर भगवान शिव के पेरों के निशान हैं । मंदिर के पीछे एक कुंड है जो मंदाकिनी कुंड के नाम से जाना जाता है . यहाँ 16वीं शताब्दी में बने कलात्मक जैन मंदिर भी हैं । यहाँ घूमने के लिए यहाँ के नन्हे गाइड जरुर साथ ले लें क्योंकि ये अपनी लच्छेदार भाषा में यहाँ का इतहास भी बताते हैं जो बड़ा ही रोचक लगता है ।
अर्बुदा देवी मंदिरmount abu से 3 किलोमीटर दूर पहाड़ी पर स्थित यह मंदिर यहाँ की अराध्य देवी का मंदिर है जो अधर देवी, अर्बुदा देवी एंव अम्बिका देवी के नाम से प्रसिद्द है । यह मंदिर यहाँ के लोकप्रिय तीर्थ स्थलों में से एक है । यह मंदिर एक प्राकर्तिक गुफा में प्रतिष्ठित है पास ही नव दुर्गा,गणेश जी और नीलकंठ महादेव मंदिर भी स्थित है । मंदिर तक जाने के लिए 365 सीढ़ियों का रास्ता है रस्ते में सुंदर द्रश्यावली होने के कारण सीढियाँ कब ख़त्म हो जाती हैं पता ही नही चलता । ऊपर पहुँचने के बाद यहाँ के सुंदर द्रश्य और शान्ति मन मोह लेती है और सारी थकान पल भर में ही दूर हो जाती है ।
सनसेट पॉइंट
mount abu में नक्की झील से करीब 1.5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित इस स्थान से डूबते हुए सूरज के सुंदर नज़ारे को देखा जा सकता है । यहाँ सूर्यास्त के समय आकाश के बदलते रंगों की छटा देखने के लीये पर्यटकों का हुजूम रहता है ।
टोड रौक
mount abu में नक्की झील के पश्चिम में स्थित एक मेंढक के आकार की चट्टान है जिसे टोड रौक के नाम से जन जाता है । इस मेंढक के आकार से मिलती चट्टान को देखकर यूँ प्रतीत होता है जेसे यह मेंढक अभी झील में कूद पड़ेगा । इसी के पास एक और चट्टान है जिसे नन रौक के नाम से जाना जाता है यह चट्टान घूँघट निकाले हुई स्त्री के समान दिखती है । ये दोनों चट्टानें दूर से पर्यटकों को आकर्षित करती हैं ।
गुरु शिखर
गुरु शिखर mount abu और अरावली पर्वत माला की सबसे ऊँची चोटी है । एटलस के अनुसार इसकी ऊंचाई 1722 मीटर है । यह माउंट आबू से 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है । यहाँ पहुँच कर एसा लगता है जैसे बादलों के पास पहुँच गए हों यहाँ की शान्ति मन को छू लेती है और यहाँ से नीचे का नजारा बड़ा ही सुंदर दिखता है । यहाँ भगवान विष्णु के अवतार दत्तात्रेय का एक छोटा सा मन्दिर बना है जिसके पास ही रामानंद के चरण चिन्ह बने हुए हैं । मन्दिर के पास ही एक पीतल का घंटा लगा हुआ है जो माउंट आबू को देख रहे संतरी का आभास कराता है ।
पीस पार्क
गुरु शिखर मार्ग पर ब्रह्मकुमारियों द्वारा बनाया गया यह पार्क प्राकर्तिक सोंदर्य का अनूठा नमूना है । यह बहुत ही व्यवस्थित पार्क है कई तरह के गुलाबों की किस्में, फूलों की क्यारियां, रौक गार्डन, घांस और बांसों से बनी झोंपडियाँ, झूले आदि बने हैं । यहॉ बर्हृमाकुमारी समुदाय का वर्ल्ड स्प्रीचुअल यूनिवर्ससिटी "ॐ शान्ति भवन" है। यहॉ के विशाल हाल मे तकरीबन 3500-4000 लोगो के बैठने कि जगह है, और ट्रान्सलेटर माइक्रो फोन द्वारा 100 भाषाओ में व्याख्यान सुने जा सकते है।
3 comments:
धन्यवाद शाय्द ये जानकारी श्री सुब्र्ह्मणियम जी के ब्लोग पर पहले भी मिल चुकी है आभार्
बहुत ही सुन्दर ब्लॉग है आपका !
बेहद पसंद आया !
आपने महत्वपूर्ण पर्यटन स्थलों के बारे में
बहुत दिलचस्प और ज्ञानवर्धक जानकारी दी !
आभार !
मेरी हार्दिक शुभकामनाएं
आज की आवाज
आपका ब्लॉग बहुत सुन्दर है. इस बार कुछ अधिक लिखा है परन्तु अक्सर हमने पाया की आपकी बातें बड़ी संक्षिप्त होती हैं. चित्रों को थोडा बड़ा कर दर्शाया करें तो अच्छा लगेगा. निर्मला जी को गलत फहमी हो गयी है. हमने माउंट आबू पर अब तक कुछ लिखा नहीं है. क्योंकि गए ही नहीं.
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