Monday, August 3, 2009

भारत का स्विट्जर्लेंड औली | indian hill station auli, hindi article



ऊँचे ऊँचे आसमान छूते सफ़ेद चमकीले पहाड़ मीलों दूर तक फैली सफ़ेद बर्फ की चादर दूर दूर तक दिखते बर्फीली चोटियों के दिलकश नज़ारे ! नहीं भई इसके लिए स्विट्जर्लेंड जाने की जरुरत नही ऐसी जगह तो हमारे पास भी मोजूद है हम बात कर रहे हैं औली की जो की उत्तराखंड में है । यहाँ का नजदीकी रेल्वे स्टेशन है हरिद्वार । हरिद्वार से लगभग 275 किलोमीटर दूर है जोशीमठ ,जोशीमठ से 16 किलोमीटर दूर है ओली । उत्तराखंड के सबसे उपरी भाग पर स्थित औली भारत का सबसे बड़ा स्कीइंग स्थल है जो कि लगभग 3 किलोमीटर लंबा ढलान है । वैसे तो यहाँ हर समय तापमान 0 डिग्री से नीचे रहता है मगर फ़िर भी यहाँ आने के लिए दिसम्बर से मार्च तक का समय ठीक रहता है । यहाँ का तेज रफ्तार केबल सिस्टम ( रोप वे ) देवदार के व्रक्षौं के ऊपर से होते ढलानों के उपरी छोर तक पहुंचाता है जिससे ऊपर चढ़ने की थकावट की चिंता नहीं रहती । यहाँ ढलानों के रख रखाव के लिए आयातित स्नो पेकिंग मशीनों की व्यवस्था है जो ढलानों पर पपड़ी नही ज़माने देती और उन्हें व्यवस्थित रखती हैं । यहाँ गढ़वाल विकास निगम द्वारा देनिक, 7 दिवसीय (प्रमाण पत्र रहित ) और 14 दिवसीय (प्रमाण पत्र सहित ) स्कीइंग प्रशिक्षण कार्यक्रम जनवरी से मार्च तक चलाए जाते हैं ।
यहाँ आएं तो यहाँ का 3048 मीटर की ऊंचाई पर स्थित चारागाह जिसे यहाँ की स्थानीय भाषा में बुग्याल कहा जाता है देखना न भूलें । यहाँ की प्राकर्तिक सुन्दरता देखते ही बनती है यहाँ से हिमालय का नजारा इतना अदभुत दिखता हे कि आप देखते ही रह जाएँगे यहाँ पर स्कीइंग की सुविधा भी उपलब्ध है । तो फ़िर देर किस बात की जल्दी औली जाने का प्रोग्राम बनाइये और भारत में ही स्विट्जर्लेंड का मजा लीजिये यकीन मानिये यह एक ऐसा प्राकर्तिक खूबसूरत स्थल है जिसके सामने स्विट्जर्लेंड की खूबसूरती बौनी पड़ जाए ।

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Saturday, August 1, 2009

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प्राकर्तिक सोंदर्य से से भरपूर स्थल goa अपने समुद्री तटों की वजह से दुनिया भर में प्रसिद्द है । कर्नाटक व महाराष्ट्र से घिरे गोवा के पश्चिम में लहलहाता अरब सागर है । यहाँ की राजधानी पणजी है जो की एक साफ सुथरा शहर है । वैसे तो पूरा साल गोवा जाने के लिए उपयुक्त है किंतु अक्तूबर से मई तक का समय गोवा जाने के लिए सबसे सही रहता है । और दिसम्बर में तो गोवा जाने का अलग ही मजा है क्योंकि क्रिसमस और नया साल यहाँ बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जाता है नया साल मानाने के लिए यहाँ जगह जगह से लोग आते हैं इसीलिए इस समय यहाँ की रोनक देखते ही बनती है । इतिहास में महाभारत गोवा का उल्लेख गोपराष्ट्र के नाम से मिलाता है माना जाता है कि इस स्थान की रचना परुशराम ने की थी । इस स्थान का नाम गोवा पुर्तगालियों ने रखा था पुर्तगालियों ने यहाँ लगभग ४०० साल तक राज किया इस बीच यहाँ अंग्रेजों व मराठों का राज भी रहा । 1561 में गोवा पुर्तगाली शासन से आजाद होकर भारत का हिस्सा बन गया । इतने समय तक पुर्तगाल का शासन रहने के कारण आज भी पुराने गोवा के घरों की बनावट में पुर्तगालियों की छाप नजर आती है । यह एक बहुत ही साफ सुथरा राज्य है यहाँ सड़कें सुंदर वृक्षोंसे सजी हैं । गोवा की प्रमुख भाषा कोंकणी और मराठी है लेकिन पूरे गोवा में हिन्दी बोली व समझी जाती है । दर्शनीय स्थलों के लिहाज से गोवा 2 भागों में बंटा हुआ है । उत्तरी गोवा और दक्षिणी गोवा । उत्तरी गोवा में मायेम झील, वागाटोर बीच, अंजुना बीच, कलंगूट बीच तथा फोर्ट अगोडा आदि हैं और दक्षिणी गोवा में पणजी, डोना पाऊला बीच, पुराने गोवा के बाम जीसस तथा सी केथेड्रल चर्च आदि हैं

कलंगूट बीच


यह बीच गोवा के बीचों की महारानी कहलाता है और क्यों कहलाता है ये तो वहां जाने पर ही पता चलता है । यह बीच पणजी से लगभग 45 किलोमीटर की दूरी पर है। दूर तक फैले इस सुंदर तट पर हर समय बड़ी संख्या में सेलानी मोजूद रहते हैं । पूरे योवन के साथ उठती यहाँ की लुभावनी लहरें सभी को सम्मोहित कर लेती हैं । यहाँ शापिंग, पैरा सेलिंग, वाटर स्कीइंग , विंड सर्फिंग आदि एंजाय कर सकते हैं वैसे सेलानी यहाँ तैराकी का आंनद भी लेते है ।

अंजुना बीच
नारियल के वृक्षों से घिरे इस बीच की रेत लाल रंग की है । इस बीच को पहले हिप्पियों का बीच कहा जाता था । इस बीच की मिटटी सूर्य की रोशनी में अनुपम छटा बिखेरती है शायद इसीलिए anjuna beach को goa के सुन्दरतम बीचों में गिना जाता है । अगर आप मोलभाव में अच्छे मैं और आपको मोलभाव करके खरीदारी में मजा आता है तो यहाँ लगाने वाला बाजार भी आपके लिए एक आकर्षण है । इस बाजार में स्वीमिंग कास्ट्यूम, स्पोर्ट के सामान , कैमरे आदि के आलावा और भी बहुत कुछ सामान मोलभाव करके कम दाम में ख़रीदा जा सकता है । इस बाजार में खरीदारी का अलग ही मजा है । इस बीच पर चाँदनी रातों में हिप्पियों की पार्टियाँ होती हैं जो बड़ी संख्या में पर्यटकों को आकर्षित कराती हैं

डोना पाउला बीच
गोवा (goa) का डोना पाउला बीच (dona paula beach) यहाँ के प्रमुख पर्यटक स्थलों में से एक है । इस बीच का नाम डोना पाउला यहाँ के एक वायसराय की बेटी डोना पाउला और एक मछुआरे की अधूरी प्रेम कहानी से जुड़ा है । यह पणजी (panaji) से लगभग 7 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है । यहाँ से मारगाओ बंदरगाह एंव जुआरी नदी के खूबसूरत द्रश्य मन मोह लेते हैं . यहाँ अनेक प्रकार की जल क्रीड़ाओं (water sports) का आनन्द लिया जा सकता है जैसे वाटर स्कीइंग (water skiing),वाटर सर्फिंग (water surfing), स्कूटरिंग (scootering) आदि । यहाँ स्पीड बोट (speed boat) और पैराग्लाईडिंग (paragliding) का मजा भी लिया जा सकता है । खरीदारी के लिए यहाँ पर स्ट्रा हैट, लैस वाले रुमाल, और मसाले ख़रीदे जा सकते हैं । इसके आलावा यहाँ की काजू फैनी (kaju feni) और पोर्ट वाइन (port wine) मशहूर हैं ।

बागा बीच

अगर मन को एकांत और शान्ति चाहिए तो goa का यह बीच इसके लिए एकदम उपयुक्त है । क्योंकि यह बीच शहरी शोर शराबे से दूर एक शांत स्थल है . असल में यह बीच कोलंगूट बीच का ही विस्तार है और मछुआरों का प्रिय स्थल है । विदेशी सेलानियों में इस बीच का बड़ा क्रेज है । यदि इस बीच पर जाएँ तो बीच साईड केंडिल लाईट डिनर अवश्य करें क्योंकि इसका अलग ही मजा आता है । इस बीच पर बसें बहुत ही कम व दिन के समय तक ही आती हैं शाम को वापसी के लिए कोई सवारी नही मिलती अतः यहाँ देर तक रुकना हो तो अपना वाहन लेकर आना ही उचित रहता है ।
वागाटोर बीच
यह बीच भी goa के सुंदर बीचों में से एक है . यहाँ पानी अधिक गहरा नहीं है अतः जो लोग तेरना नही जानते वो यहाँ नहा सकते हैं एंव लहरों का आनन्द ले सकते हैं । यहाँ का तट पत्थरों से घिरा हुआ है इसीलिए पत्थरों से टकराती लहरें पास खड़े पर्यटकों को भिगो कर रोमांचित कर देती हैं ।





बाम जीसस चर्च
यह विश्वप्रसिद्ध चर्च पणजी से लगभग १० किलोमीटर की दूरी पर स्थित है इसका निर्माण 16वीं शताब्दी में हुआ था । यहाँ संत फ्रांसिस जेवियर्स का पार्थिव शरीर चांदी के ताबूत में बिना किसी मसाले या लेप के सुरक्षित रखा हुआ है । यह चर्च भारत में बारोक वास्तुकला का सर्वोत्तम उदहारण माना जाता है । भित्त्चित्रों व शिल्पकला से सुसज्जित इस चर्च की कलात्मकता देखते ही बनती है ।
संत केथेड्रल चर्च

यह चर्च बाम जीसस चर्च के ठीक सामने स्थित है । इस चर्च का निर्माण पुर्तगाली शासन में रोमन केथोलिकों द्वारा 16वीं शताब्दी में किया गया था । इसके निर्माण में लगभग 75 वर्ष का समय लगा था । यह चर्च एशिया के सबसे बड़े गिरजाघरों में से एक है । पुर्तगाली शेली के इस भवन का बाहरी हिस्सा सादापन लिए है जबकि अंदरूनी हिस्से की सजावट अपनी भव्यता से दर्शकों का मन मोह लेती है

इसके आलावा goa में कई चर्च, प्रसिद्ध मन्दिर, संग्रहालय व अभ्यारण हैं जो देखने लायक हैं ।
चर्च - संत फ्रांसिस, होली स्पिरिट, संत अगस्टिन आदि ।
मन्दिर - कमाक्षी मंदिर, सप्तकेतेश्वर मंदिर, श्री शांतादुर्ग मंदिर, महलासा नारायणी मंदिर, भगवती मंदिर व महालक्ष्मी मंदिर आदि।
अभ्यारण - बोंडला
अभ्यारण, कावल वन्य प्राणी अभ्यारण, कोटिजाओ वन्य प्राणी अभ्यारण आदि

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Friday, July 31, 2009

गोवा ( goa )



प्राकर्तिक सोंदर्य से से भरपूर स्थल goa अपने समुद्री तटों की वजह से दुनिया भर में प्रसिद्द है । कर्नाटक व महाराष्ट्र से घिरे गोवा के पश्चिम में लहलहाता अरब सागर है । यहाँ की राजधानी पणजी है जो की एक साफ सुथरा शहर है । वैसे तो पूरा साल गोवा जाने के लिए उपयुक्त है किंतु अक्तूबर से मई तक का समय गोवा जाने के लिए सबसे सही रहता है । और दिसम्बर में तो गोवा जाने का अलग ही मजा है क्योंकि क्रिसमस और नया साल यहाँ बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जाता है नया साल मानाने के लिए यहाँ जगह जगह से लोग आते हैं इसीलिए इस समय यहाँ की रोनक देखते ही बनती है । इतिहास में महाभारत गोवा का उल्लेख गोपराष्ट्र के नाम से मिलाता है माना जाता है कि इस स्थान की रचना परुशराम ने की थी । इस स्थान का नाम गोवा पुर्तगालियों ने रखा था पुर्तगालियों ने यहाँ लगभग ४०० साल तक राज किया इस बीच यहाँ अंग्रेजों व मराठों का राज भी रहा । 1561 में गोवा पुर्तगाली शासन से आजाद होकर भारत का हिस्सा बन गया । इतने समय तक पुर्तगाल का शासन रहने के कारण आज भी पुराने गोवा के घरों की बनावट में पुर्तगालियों की छाप नजर आती है । यह एक बहुत ही साफ सुथरा राज्य है यहाँ सड़कें सुंदर वृक्षोंसे सजी हैं । गोवा की प्रमुख भाषा कोंकणी और मराठी है लेकिन पूरे गोवा में हिन्दी बोली व समझी जाती है । दर्शनीय स्थलों के लिहाज से गोवा 2 भागों में बंटा हुआ है । उत्तरी गोवा और दक्षिणी गोवा । उत्तरी गोवा में मायेम झील, वागाटोर बीच, अंजुना बीच, कलंगूट बीच तथा फोर्ट अगोडा आदि हैं और दक्षिणी गोवा में पणजी, डोना पाऊला बीच, पुराने गोवा के बाम जीसस तथा सी केथेड्रल चर्च आदि हैं

कलंगूट बीच


यह बीच गोवा के बीचों की महारानी कहलाता है और क्यों कहलाता है ये तो वहां जाने पर ही पता चलता है । यह बीच पणजी से लगभग 45 किलोमीटर की दूरी पर है। दूर तक फैले इस सुंदर तट पर हर समय बड़ी संख्या में सेलानी मोजूद रहते हैं । पूरे योवन के साथ उठती यहाँ की लुभावनी लहरें सभी को सम्मोहित कर लेती हैं । यहाँ शापिंग, पैरा सेलिंग, वाटर स्कीइंग , विंड सर्फिंग आदि एंजाय कर सकते हैं वैसे सेलानी यहाँ तैराकी का आंनद भी लेते है ।

अंजुना बीच
नारियल के वृक्षों से घिरे इस बीच की रेत लाल रंग की है । इस बीच को पहले हिप्पियों का बीच कहा जाता था । इस बीच की मिटटी सूर्य की रोशनी में अनुपम छटा बिखेरती है शायद इसीलिए anjuna beach को goa के सुन्दरतम बीचों में गिना जाता है । अगर आप मोलभाव में अच्छे मैं और आपको मोलभाव करके खरीदारी में मजा आता है तो यहाँ लगाने वाला बाजार भी आपके लिए एक आकर्षण है । इस बाजार में स्वीमिंग कास्ट्यूम, स्पोर्ट के सामान , कैमरे आदि के आलावा और भी बहुत कुछ सामान मोलभाव करके कम दाम में ख़रीदा जा सकता है । इस बाजार में खरीदारी का अलग ही मजा है । इस बीच पर चाँदनी रातों में हिप्पियों की पार्टियाँ होती हैं जो बड़ी संख्या में पर्यटकों को आकर्षित कराती हैं


डोना पाउला बीच
गोवा (goa) का डोना पाउला बीच (dona paula beach) यहाँ के प्रमुख पर्यटक स्थलों में से एक है । इस बीच का नाम डोना पाउला यहाँ के एक वायसराय की बेटी डोना पाउला और एक मछुआरे की अधूरी प्रेम कहानी से जुड़ा है । यह पणजी (panaji) से लगभग 7 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है । यहाँ से मारगाओ बंदरगाह एंव जुआरी नदी के खूबसूरत द्रश्य मन मोह लेते हैं . यहाँ अनेक प्रकार की जल क्रीड़ाओं (water sports) का आनन्द लिया जा सकता है जैसे वाटर स्कीइंग (water skiing),वाटर सर्फिंग (water surfing), स्कूटरिंग (scootering) आदि । यहाँ स्पीड बोट (speed boat) और पैराग्लाईडिंग (paragliding) का मजा भी लिया जा सकता है । खरीदारी के लिए यहाँ पर स्ट्रा हैट, लैस वाले रुमाल, और मसाले ख़रीदे जा सकते हैं । इसके आलावा यहाँ की काजू फैनी (kaju feni) और पोर्ट वाइन (port wine) मशहूर हैं ।


बागा बीच

अगर मन को एकांत और शान्ति चाहिए तो goa का यह बीच इसके लिए एकदम उपयुक्त है । क्योंकि यह बीच शहरी शोर शराबे से दूर एक शांत स्थल है . असल में यह बीच कोलंगूट बीच का ही विस्तार है और मछुआरों का प्रिय स्थल है । विदेशी सेलानियों में इस बीच का बड़ा क्रेज है । यदि इस बीच पर जाएँ तो बीच साईड केंडिल लाईट डिनर अवश्य करें क्योंकि इसका अलग ही मजा आता है । इस बीच पर बसें बहुत ही कम व दिन के समय तक ही आती हैं शाम को वापसी के लिए कोई सवारी नही मिलती अतः यहाँ देर तक रुकना हो तो अपना वाहन लेकर आना ही उचित रहता है ।


वागाटोर बीच
यह बीच भी goa के सुंदर बीचों में से एक है . यहाँ पानी अधिक गहरा नहीं है अतः जो लोग तेरना नही जानते वो यहाँ नहा सकते हैं एंव लहरों का आनन्द ले सकते हैं । यहाँ का तट पत्थरों से घिरा हुआ है इसीलिए पत्थरों से टकराती लहरें पास खड़े पर्यटकों को भिगो कर रोमांचित कर देती हैं ।





बाम जीसस चर्च
यह विश्वप्रसिद्ध चर्च पणजी से लगभग १० किलोमीटर की दूरी पर स्थित है इसका निर्माण 16वीं शताब्दी में हुआ था । यहाँ संत फ्रांसिस जेवियर्स का पार्थिव शरीर चांदी के ताबूत में बिना किसी मसाले या लेप के सुरक्षित रखा हुआ है । यह चर्च भारत में बारोक वास्तुकला का सर्वोत्तम उदहारण माना जाता है । भित्त्चित्रों व शिल्पकला से सुसज्जित इस चर्च की कलात्मकता देखते ही बनती है ।

संत केथेड्रल चर्च

यह चर्च बाम जीसस चर्च के ठीक सामने स्थित है । इस चर्च का निर्माण पुर्तगाली शासन में रोमन केथोलिकों द्वारा 16वीं शताब्दी में किया गया था । इसके निर्माण में लगभग 75 वर्ष का समय लगा था । यह चर्च एशिया के सबसे बड़े गिरजाघरों में से एक है । पुर्तगाली शेली के इस भवन का बाहरी हिस्सा सादापन लिए है जबकि अंदरूनी हिस्से की सजावट अपनी भव्यता से दर्शकों का मन मोह लेती है

इसके आलावा goa में कई चर्च, प्रसिद्ध मन्दिर, संग्रहालय व अभ्यारण हैं जो देखने लायक हैं ।
चर्च - संत फ्रांसिस, होली स्पिरिट, संत अगस्टिन आदि ।
मन्दिर - कमाक्षी मंदिर, सप्तकेतेश्वर मंदिर, श्री शांतादुर्ग मंदिर, महलासा नारायणी मंदिर, भगवती मंदिर व महालक्ष्मी मंदिर आदि।
अभ्यारण - बोंडला
अभ्यारण, कावल वन्य प्राणी अभ्यारण, कोटिजाओ वन्य प्राणी अभ्यारण आदि

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गोवा - 8 संत केथेड्रल चर्च ( Se Cathedral Church )


यह चर्च बाम जीसस चर्च के ठीक सामने स्थित है । इस चर्च का निर्माण पुर्तगाली शासन में रोमन केथोलिकों द्वारा 16वीं शताब्दी में किया गया था । इसके निर्माण में लगभग 75 वर्ष का समय लगा था । यह चर्च एशिया के सबसे बड़े गिरजाघरों में से एक है । पुर्तगाली शेली के इस भवन का बाहरी हिस्सा सादापन लिए है जबकि अंदरूनी हिस्से की सजावट अपनी भव्यता से दर्शकों का मन मोह लेती है ।

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गोवा - 7 बाम जीसस चर्च ( Bom Jesus Church )

यह विश्वप्रसिद्ध चर्च पणजी से लगभग १० किलोमीटर की दूरी पर स्थित है इसका निर्माण 16वीं शताब्दी में हुआ था । यहाँ संत फ्रांसिस जेवियर्स का पार्थिव शरीर चांदी के ताबूत में बिना किसी मसाले या लेप के सुरक्षित रखा हुआ है । यह चर्च भारत में बारोक वास्तुकला का सर्वोत्तम उदहारण माना जाता है । भित्त्चित्रों व शिल्पकला से सुसज्जित इस चर्च की कलात्मकता देखते ही बनती है ।

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Monday, July 13, 2009

गोवा - 6 वागाटोर बीच

यह बीच भी goa के सुंदर बीचों में से एक है . यहाँ पानी अधिक गहरा नहीं है अतः जो लोग तेरना नही जानते वो यहाँ नहा सकते हैं एंव लहरों का आनन्द ले सकते हैं । यहाँ का तट पत्थरों से घिरा हुआ है इसीलिए पत्थरों से टकराती लहरें पास खड़े पर्यटकों को भिगो कर रोमांचित कर देती हैं ।

यह भी देखें -
गोवा - 1
गोवा - कोलंगूट बीच
गोवा - 3 अंजुना बीच

गोवा - डोना पाउला बीच
गोवा - 5 बागा बीच

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Saturday, July 11, 2009

गोवा - 5 बागा बीच


अगर मन को एकांत और शान्ति चाहिए तो goa का यह बीच इसके लिए एकदम उपयुक्त है । क्योंकि यह बीच शहरी शोर शराबे से दूर एक शांत स्थल है . असल में यह बीच कोलंगूट बीच का ही विस्तार है और मछुआरों का प्रिय स्थल है । विदेशी सेलानियों में इस बीच का बड़ा क्रेज है । यदि इस बीच पर जाएँ तो बीच साईड केंडिल लाईट डिनर अवश्य करें क्योंकि इसका अलग ही मजा आता है । इस बीच पर बसें बहुत ही कम व दिन के समय तक ही आती हैं शाम को वापसी के लिए कोई सवारी नही मिलती अतः यहाँ देर तक रुकना हो तो अपना वाहन लेकर आना ही उचित रहता है ।

यह भी देखें -
गोवा - 1
गोवा - कोलंगूट बीच
गोवा - 3 अंजुना बीच

गोवा - डोना पाउला बीच

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Thursday, July 9, 2009

गोवा - 4 डोना पाउला बीच

गोवा (goa) का डोना पाउला बीच (dona paula beach) यहाँ के प्रमुख पर्यटक स्थलों में से एक है । इस बीच का नाम डोना पाउला यहाँ के एक वायसराय की बेटी डोना पाउला और एक मछुआरे की अधूरी प्रेम कहानी से जुड़ा है । यह पणजी (panaji) से लगभग 7 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है । यहाँ से मारगाओ बंदरगाह एंव जुआरी नदी के खूबसूरत द्रश्य मन मोह लेते हैं . यहाँ अनेक प्रकार की जल क्रीड़ाओं (water sports) का आनन्द लिया जा सकता है जैसे वाटर स्कीइंग (water skiing),वाटर सर्फिंग (water surfing), स्कूटरिंग (scootering) आदि । यहाँ स्पीड बोट (speed boat) और पैराग्लाईडिंग (paragliding) का मजा भी लिया जा सकता है । खरीदारी के लिए यहाँ पर स्ट्रा हैट, लैस वाले रुमाल, और मसाले ख़रीदे जा सकते हैं । इसके आलावा यहाँ की काजू फैनी (kaju feni) और पोर्ट वाइन (port wine) मशहूर हैं ।


यह भी देखें -
गोवा - 1
गोवा - कोलंगूट बीच
गोवा - 3 अंजुना बीच

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Tuesday, July 7, 2009

गोवा -3 अंजुना बीच

नारियल के वृक्षों से घिरे इस बीच की रेत लाल रंग की है । इस बीच को पहले हिप्पियों का बीच कहा जाता था । इस बीच की मिटटी सूर्य की रोशनी में अनुपम छटा बिखेरती है शायद इसीलिए anjuna beach को goa के सुन्दरतम बीचों में गिना जाता है । अगर आप मोलभाव में अच्छे मैं और आपको मोलभाव करके खरीदारी में मजा आता है तो यहाँ लगाने वाला बाजार भी आपके लिए एक आकर्षण है । इस बाजार में स्वीमिंग कास्ट्यूम, स्पोर्ट के सामान , कैमरे आदि के आलावा और भी बहुत कुछ सामान मोलभाव करके कम दाम में ख़रीदा जा सकता है । इस बाजार में खरीदारी का अलग ही मजा है । इस बीच पर चाँदनी रातों में हिप्पियों की पार्टियाँ होती हैं जो बड़ी संख्या में पर्यटकों को आकर्षित कराती हैं ।

यह भी देखें -
गोवा - 1
गोवा - 2 कलंगूट बीच

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Sunday, July 5, 2009

गोवा - २ कलंगूट बीच



यह बीच गोवा के बीचों की महारानी कहलाता है और क्यों कहलाता है ये तो वहां जाने पर ही पता चलता है । यह बीच पणजी से लगभग 45 किलोमीटर की दूरी पर है। दूर तक फैले इस सुंदर तट पर हर समय बड़ी संख्या में सेलानी मोजूद रहते हैं । पूरे योवन के साथ उठती यहाँ की लुभावनी लहरें सभी को सम्मोहित कर लेती हैं । यहाँ शापिंग, पैरा सेलिंग, वाटर स्कीइंग , विंड सर्फिंग आदि एंजाय कर सकते हैं वैसे सेलानी यहाँ तैराकी का आंनद भी लेते है ।

यह भी देखें -
गोवा -1

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Friday, July 3, 2009

गोवा - 1



प्राकर्तिक सोंदर्य से से भरपूर स्थल goa अपने समुद्री तटों की वजह से दुनिया भर में प्रसिद्द है । कर्नाटक व महाराष्ट्र से घिरे गोवा के पश्चिम में लहलहाता अरब सागर है । यहाँ की राजधानी पणजी है जो की एक साफ सुथरा शहर है । वैसे तो पूरा साल गोवा जाने के लिए उपयुक्त है किंतु अक्तूबर से मई तक का समय गोवा जाने के लिए सबसे सही रहता है । और दिसम्बर में तो गोवा जाने का अलग ही मजा है क्योंकि क्रिसमस और नया साल यहाँ बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जाता है नया साल मानाने के लिए यहाँ जगह जगह से लोग आते हैं इसीलिए इस समय यहाँ की रोनक देखते ही बनती है । इतिहास में महाभारत गोवा का उल्लेख गोपराष्ट्र के नाम से मिलाता है माना जाता है कि इस स्थान की रचना परुशराम ने की थी । इस स्थान का नाम गोवा पुर्तगालियों ने रखा था पुर्तगालियों ने यहाँ लगभग ४०० साल तक राज किया इस बीच यहाँ अंग्रेजों व मराठों का राज भी रहा । 1561 में गोवा पुर्तगाली शासन से आजाद होकर भारत का हिस्सा बन गया । इतने समय तक पुर्तगाल का शासन रहने के कारण आज भी पुराने गोवा के घरों की बनावट में पुर्तगालियों की छाप नजर आती है । यह एक बहुत ही साफ सुथरा राज्य है यहाँ सड़कें सुंदर वृक्षोंसे सजी हैं । गोवा की प्रमुख भाषा कोंकणी और मराठी है लेकिन पूरे गोवा में हिन्दी बोली व समझी जाती है । दर्शनीय स्थलों के लिहाज से गोवा 2 भागों में बंटा हुआ है । उत्तरी गोवा और दक्षिणी गोवा । उत्तरी गोवा में मायेम झील, वागाटोर बीच, अंजुना बीच, कलंगूट बीच तथा फोर्ट अगोडा आदि हैं और दक्षिणी गोवा में पणजी, डोना पाऊला बीच, पुराने गोवा के बाम जीसस तथा सी केथेड्रल चर्च आदि हैं

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Tuesday, June 30, 2009

माउंट आबू


सिरोही जिले में गुजरात की सीमा से सटी अरावली पर्वत श्रंखला के दक्षिण पश्चिम में स्थित माउन्ट आबू राजस्थान का एक मात्र पर्वतीय पर्यटन स्थल है । कहा जाता है की इस स्थान पर 33 करोड़ देवी देवता विचरण करते हैं शायद इसीलिए इस स्थान को देव भूमि कहा जाता है । यहाँ वो सब कुछ है जो एक hill stations पर होना चाहिए झील का किनारा , ऊँचे घने वृक्ष, ऊँचे-नीचे टेड़े-मेढ़े रास्ते, डूबते सूरज का नजारा सब कुछ मिलेगा यहाँ । समुद्र तल से 1219 मीटर की ऊंचाई पर स्थित माउन्ट आबू में ज्यादातर लोग गर्मियों में आते हैं । वेसे तो यहाँ हर समय सेलानी आते हैं मगर गर्मियों में यहाँ हर समय सेलानियों का सेलाब रहता है

नक्की झील

नक्की झील mount abu का प्रमुख आकर्षण है इस सुंदर झील के किनारे एक सुंदर बगीचा है । यहाँ शाम के समय घूमने और बोटिंग के लिए पर्यटकों का हुजूम उमड़ पड़ता है । नक्की झील राजस्थान की सबसे ऊँची झील है एक किवदंती है कि इसका निर्माण देवताओं ने अपने नाखूनों से खोद कर किया था इसीलिए इसका नाम नक्की झील पड़ा । यह झील सर्दियों में अक्सर जम जाया करती है . झील के किनारे ही यहाँ का मुख्य बाज़ार है जहाँ शाम के समय मेला सा लगा रहता है । इस बाजार की वस्तुओं में अधिकतर राजस्थानी व गुजराती छाप नजर आती है ।

देलवाड़ा मंदिर

नक्की झील से 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित यह जेन मंदिर पांच मंदिरों का समूह है । बाहर से दिखने में साधारण मगर अदंर संगमरमर पर शानदार कारीगिरी देखते ही मन प्रशंषा से भर उठता है । इस मंदिर का निर्माण 11वीं से 13वीं सदी के बीच हुआ था । प्रमुख मंदिर में 52 छोटे मंदिरों वाला गलियारा है जिनमे प्रत्येक में जेन तीर्थकरों की प्रतिमाएं स्थापित हैं । कहा जाता है कि इस मंदिर को बनाने में 1500 कारीगरों ने 14 वर्ष तक काम किया था तब जाकर यह खूबसूरत मंदिर तैयार हुआ । उस समय इस बनाने में करीब 12 करोड़ 53 लाख रुपए खर्च हुए थे ।

अचलगड़ किला
देलवाड़ा मंदिर से 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित यह किला परमार राजाओं द्वारा बनवाया गया था बाद में राणा कुंभा ने इसका पुनर्निर्माण करवाया । यहाँ भगवान शिव का मंदिर है जो कि अचलेश्वर महादेव के नाम से जाना जाता है । शिव के साथ ही यहाँ उनकी सवारी नंदी के दर्शन भी किए जा सकते हैं कहा जाता है कि यहाँ पर भगवान शिव के पेरों के निशान हैं । मंदिर के पीछे एक कुंड है जो मंदाकिनी कुंड के नाम से जाना जाता है . यहाँ 16वीं शताब्दी में बने कलात्मक जैन मंदिर भी हैं । यहाँ घूमने के लिए यहाँ के नन्हे गाइड जरुर साथ ले लें क्योंकि ये अपनी लच्छेदार भाषा में यहाँ का इतहास भी बताते हैं जो बड़ा ही रोचक लगता है ।

अर्बुदा देवी मंदिर
mount abu से 3 किलोमीटर दूर पहाड़ी पर स्थित यह मंदिर यहाँ की अराध्य देवी का मंदिर है जो अधर देवी, अर्बुदा देवी एंव अम्बिका देवी के नाम से प्रसिद्द है । यह मंदिर यहाँ के लोकप्रिय तीर्थ स्थलों में से एक है । यह मंदिर एक प्राकर्तिक गुफा में प्रतिष्ठित है पास ही नव दुर्गा,गणेश जी और नीलकंठ महादेव मंदिर भी स्थित है । मंदिर तक जाने के लिए 365 सीढ़ियों का रास्ता है रस्ते में सुंदर द्रश्यावली होने के कारण सीढियाँ कब ख़त्म हो जाती हैं पता ही नही चलता । ऊपर पहुँचने के बाद यहाँ के सुंदर द्रश्य और शान्ति मन मोह लेती है और सारी थकान पल भर में ही दूर हो जाती है


सनसेट पॉइंट

mount abu में नक्की झील से करीब 1.5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित इस स्थान से डूबते हुए सूरज के सुंदर नज़ारे को देखा जा सकता है । यहाँ सूर्यास्त के समय आकाश के बदलते रंगों की छटा देखने के लीये पर्यटकों का हुजूम रहता है ।


टोड रौक

mount abu में नक्की झील के पश्चिम में स्थित एक मेंढक के आकार की चट्टान है जिसे टोड रौक के नाम से जन जाता है । इस मेंढक के आकार से मिलती चट्टान को देखकर यूँ प्रतीत होता है जेसे यह मेंढक अभी झील में कूद पड़ेगा । इसी के पास एक और चट्टान है जिसे नन रौक के नाम से जाना जाता है यह चट्टान घूँघट निकाले हुई स्त्री के समान दिखती है । ये दोनों चट्टानें दूर से पर्यटकों को आकर्षित करती हैं ।


गुरु शिखर

गुरु शिखर mount abu और अरावली पर्वत माला की सबसे ऊँची चोटी है । एटलस के अनुसार इसकी ऊंचाई 1722 मीटर है । यह माउंट आबू से 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है । यहाँ पहुँच कर एसा लगता है जैसे बादलों के पास पहुँच गए हों यहाँ की शान्ति मन को छू लेती है और यहाँ से नीचे का नजारा बड़ा ही सुंदर दिखता है । यहाँ भगवान विष्णु के अवतार दत्तात्रेय का एक छोटा सा मन्दिर बना है जिसके पास ही रामानंद के चरण चिन्ह बने हुए हैं । मन्दिर के पास ही एक पीतल का घंटा लगा हुआ है जो माउंट आबू को देख रहे संतरी का आभास कराता है


पीस पार्क
गुरु शिखर मार्ग पर ब्रह्मकुमारियों द्वारा बनाया गया यह पार्क प्राकर्तिक सोंदर्य का अनूठा नमूना है यह बहुत ही व्यवस्थित पार्क है कई तरह के गुलाबों की किस्में, फूलों की क्यारियां, रौक गार्डन, घांस और बांसों से बनी झोंपडियाँ, झूले आदि बने हैं यहॉ बर्हृमाकुमारी समुदाय का वर्ल्ड स्प्रीचुअल यूनिवर्ससिटी " शान्ति भवन" है। यहॉ के विशाल हाल मे तकरीबन 3500-4000 लोगो के बैठने कि जगह है, और ट्रान्सलेटर माइक्रो फोन द्वारा 100 भाषाओ में व्याख्यान सुने जा सकते है।

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Monday, June 29, 2009

पीस पार्क

गुरु शिखर मार्ग पर ब्रह्मकुमारियों द्वारा बनाया गया यह पार्क प्राकर्तिक सोंदर्य का अनूठा नमूना है । यह बहुत ही व्यवस्थित पार्क है कई तरह के गुलाबों की किस्में, फूलों की क्यारियां, रौक गार्डन, घांस और बांसों से बनी झोंपडियाँ, झूले आदि बने हैं । यहॉ बर्हृमाकुमारी समुदाय का वर्ल्ड स्प्रीचुअल यूनिवर्ससिटी "ॐ शान्ति भवन" है। यहॉ के विशाल हाल मे तकरीबन ३५००-४००० लोगो के बैठने कि जगह है, और ट्रान्सलेटर माइक्रो फोन द्वारा 100 भाषाओ में व्याख्यान सुने जा सकते है।

यह भी देखें -
mount abu -1
mount abu -2
mount abu -3
mount abu -4
mount abu -5
mount abu -6
mount abu -7
mount abu -8

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Sunday, June 28, 2009

अर्बुदा देवी मंदिर

mount abu से 3 किलोमीटर दूर पहाड़ी पर स्थित यह मंदिर यहाँ की अराध्य देवी का मंदिर है जो अधर देवी, अर्बुदा देवी एंव अम्बिका देवी के नाम से प्रसिद्द है । यह मंदिर यहाँ के लोकप्रिय तीर्थ स्थलों में से एक है । यह मंदिर एक प्राकर्तिक गुफा में प्रतिष्ठित है पास ही नव दुर्गा,गणेश जी और नीलकंठ महादेव मंदिर भी स्थित है । मंदिर तक जाने के लिए 365 सीढ़ियों का रास्ता है रस्ते में सुंदर द्रश्यावली होने के कारण सीढियाँ कब ख़त्म हो जाती हैं पता ही नही चलता । ऊपर पहुँचने के बाद यहाँ के सुंदर द्रश्य और शान्ति मन मोह लेती है और सारी थकान पल भर में ही दूर हो जाती है


यह भी देखें -
mount abu -1
mount abu -2
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अचलगड़ किला

देलवाड़ा मंदिर से 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित यह किला परमार राजाओं द्वारा बनवाया गया था बाद में राणा कुंभा ने इसका पुनर्निर्माण करवाया । यहाँ भगवान शिव का मंदिर है जो कि अचलेश्वर महादेव के नाम से जाना जाता है । शिव के साथ ही यहाँ उनकी सवारी नंदी के दर्शन भी किए जा सकते हैं कहा जाता है कि यहाँ पर भगवान शिव के पेरों के निशान हैं । मंदिर के पीछे एक कुंड है जो मंदाकिनी कुंड के नाम से जाना जाता है . यहाँ 16वीं शताब्दी में बने कलात्मक जैन मंदिर भी हैं । यहाँ घूमने के लिए यहाँ के नन्हे गाइड जरुर साथ ले लें क्योंकि ये अपनी लच्छेदार भाषा में यहाँ का इतहास भी बताते हैं जो बड़ा ही रोचक लगता है ।


यह भी देखें -
mount abu -1
mount abu -2
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Friday, June 26, 2009

गुरु शिखर


गुरु शिखर mount abu और अरावली पर्वत माला की सबसे ऊँची चोटी है । एटलस के अनुसार इसकी ऊंचाई 1722 मीटर है । यह माउंट आबू से 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है । यहाँ पहुँच कर एसा लगता है जैसे बादलों के पास पहुँच गए हों यहाँ की शान्ति मन को छू लेती है और यहाँ से नीचे का नजारा बड़ा ही सुंदर दिखता है । यहाँ भगवान विष्णु के अवतार दत्तात्रेय का एक छोटा सा मन्दिर बना है जिसके पास ही रामानंद के चरण चिन्ह बने हुए हैं । मन्दिर के पास ही एक पीतल का घंटा लगा हुआ है जो माउंट आबू को देख रहे संतरी का आभास कराता है ।


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mount abu -1
mount abu -2
mount abu -3
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Tuesday, June 23, 2009

टोड रौक


mount abu में नक्की झील के पश्चिम में स्थित एक मेंढक के आकार की चट्टान है जिसे टोड रौक के नाम से जन जाता है । इस मेंढक के आकार से मिलती चट्टान को देखकर यूँ प्रतीत होता है जेसे यह मेंढक अभी झील में कूद पड़ेगा । इसी के पास एक और चट्टान है जिसे नन रौक के नाम से जाना जाता है यह चट्टान घूँघट निकाले हुई स्त्री के समान दिखती है । ये दोनों चट्टानें दूर से पर्यटकों को आकर्षित करती हैं ।

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Monday, June 22, 2009

सनसेट पॉइंट


mount abu में नक्की झील से करीब 1.5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित इस स्थान से डूबते हुए सूरज के सुंदर नज़ारे को देखा जा सकता है । यहाँ सूर्यास्त के समय आकाश के बदलते रंगों की छटा देखने के लीये पर्यटकों का हुजूम रहता है ।

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Sunday, June 21, 2009

नक्की झील


नक्की झील mount abu का प्रमुख आकर्षण है इस सुंदर झील के किनारे एक सुंदर बगीचा है । यहाँ शाम के समय घूमने और बोटिंग के लिए पर्यटकों का हुजूम उमड़ पड़ता है । नक्की झील राजस्थान की सबसे ऊँची झील है एक किवदंती है कि इसका निर्माण देवताओं ने अपने नाखूनों से खोद कर किया था इसीलिए इसका नाम नक्की झील पड़ा । यह झील सर्दियों में अक्सर जम जाया करती है . झील के किनारे ही यहाँ का मुख्य बाज़ार है जहाँ शाम के समय मेला सा लगा रहता है । इस बाजार की वस्तुओं में अधिकतर राजस्थानी व गुजराती छाप नजर आती है ।

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Saturday, June 20, 2009

देलवाड़ा मंदिर


नक्की झील से 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित यह जेन मंदिर पांच मंदिरों का समूह है । बाहर से दिखने में साधारण मगर अदंर संगमरमर पर शानदार कारीगिरी देखते ही मन प्रशंषा से भर उठता है । इस मंदिर का निर्माण 11वीं से 13वीं सदी के बीच हुआ था । प्रमुख मंदिर में 52 छोटे मंदिरों वाला गलियारा है जिनमे प्रत्येक में जेन तीर्थकरों की प्रतिमाएं स्थापित हैं । कहा जाता है कि इस मंदिर को बनाने में 1500 कारीगरों ने 14 वर्ष तक काम किया था तब जाकर यह खूबसूरत मंदिर तैयार हुआ । उस समय इस बनाने में करीब 12 करोड़ 53 लाख रुपए खर्च हुए थे ।

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Thursday, June 18, 2009

माउंट आबू


सिरोही जिले में गुजरात की सीमा से सटी अरावली पर्वत श्रंखला के दक्षिण पश्चिम में स्थित माउन्ट आबू राजस्थान का एक मात्र पर्वतीय पर्यटन स्थल है । कहा जाता है की इस स्थान पर 33 करोड़ देवी देवता विचरण करते हैं शायद इसीलिए इस स्थान को देव भूमि कहा जाता है । यहाँ वो सब कुछ है जो एक hill stations पर होना चाहिए झील का किनारा, ऊँचे घने वृक्ष, ऊँचे-नीचे टेड़े-मेढ़े रास्ते, डूबते सूरज का नजारा सब कुछ मिलेगा यहाँ । समुद्र तल से 1219 मीटर की ऊंचाई पर स्थित माउन्ट आबू में ज्यादातर लोग गर्मियों में आते हैं । वेसे तो यहाँ हर समय सेलानी आते हैं मगर गर्मियों में यहाँ हर समय सेलानियों का सेलाब रहता है

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Wednesday, June 17, 2009

जोधपुर

थार रेगिस्तान के किनारे बसा जोधपुर जिसे सूर्य नगरी के नाम से भी जाना जाता है । इस शहर को 1459 में राव जोधा ने बसाया था उन्ही के नाम पर इस शहर का नाम जोधपुर पडा़ । यह राजस्थान का दूसरा सबसे बडा़ शहर है । जोधपुर अपनी सांस्क्रतिक विरासत और एतिहासिक धरोहर के लीये संसार भर में मशहूर है । यहां का किला व महल इस शहर के राजसी गोरव की मिसाल है ओर पर्यटकों के आकर्शण का केन्द्र है । साल में एक बार आयोजित होने आयोजित वाला मारवाड़ समारोह शहर के प्रमुख सांस्क्रतिक समारोह के रूप में मनाया जाता है ।

मेहरान गढ़ का किला
125 मीटर ऊंची पहाड़ी पर स्थित 5 किलोमीटर लंबा भव्य किला राजस्थान की विराट इमारतों में से एक है । यह किला मयूर ध्वज के नाम से भी जाना जाता है । बाहर से अद्रश्य घुमावदार सड़कों से जुडे़ इस किले में 4 द्वार हैं । किले में कई भव्य महल हैं इनमें मोती महल, फूल महल, शीश महल, सिलेह खाना, ओर दोलत खाना प्रमुख हैं । किले के अदभुत नक्काशीदार दरवाजे ओर जालीदार खिड़कीयां महल की खूबसूरती को बयां करती है । किले में शाही साजोसामान, पालकीयों, संगीत वाद्यों, पोशाकों व विभिन्न शैलीयों के चित्रों का संग्रह भी है जो देखने लायक है ।

उम्मेद भवन पैलेस
एतिहासिक रूप से यह भवन बहुत महत्वपूर्ण है यह महल 20वीं सदी की एकमात्र ऎसी इमारत है जिसका निर्माण आकाल राहत परियोजना के तहत हुआ था इस महल से आकाल पीड़ित लगभग 3000 लोगों को कई वर्ष तक रोजगार मिला था । लगभग 20 एकड़ में फैले बलुआ पत्थरों से निर्मित यह महल 16 वर्षों में तैयार हुआ था । 183 फुट ऊंचे गुंबद वाले इस महल में 300 से भी ज्यादा कमरे हैं । इस महल के आधे हिस्से को पांच सितारा होटल में तब्दील कर दीया गया है ।

जसवंत थडा़
यह मेहरानगढ़ किले के पास स्थित एक छोटी सी पहाडी़ पर निर्मित महाराजा जसवंत सिंह द्वतीय का स्मारक है । सफेद संगमरमर से निर्मित यह स्मारक जोधपुर के इतिहास की याद दिलाता है ।







मंडोर गार्डन

जोधपुर से 9 किलोमीटर दूर मारवाड़ की प्राचीन राजधानी मंडोर में जोधपुर के शासकों के स्मारक हैं । यहां कई ऊंचे-ऊंचे चट्टानी चबूतरे हैं व एक बड़ी चट्टान में तराशी हुई देवी देवताओं की पंद्रह आक्रतीयां हैं । अपने आकर्षक बगीचौं के कारण यह स्थान एक प्रचलित पिकनिक स्थल बन गया है ।


बालसमंद झील

इस सुंदर झील का निर्माण ईसवीं सन् 1159 में हुआ था। तीन तरफ पहाडी़यों से घिरी यह झील उम्मेद भवन की खूबसूरती में चार चांद लगाती है । झील के बीच बने  भव्य  महल का भीतरी भाग यूरोपियन स्टाइल का है मगर बाहरी दीवारें परंपरागत नक्काशीदार हैं । यहां खूबसूरत बगीचे भी हैं। भ्रमण करने के लिए यह एक रमणीय स्थल है।


कायलाना झील

शहर से 11 किलोमीटर दूर स्थित यह झील पिकनिक स्पाट के रूप में प्रसिद्ध है । यहां बगीचे हैं ओर बोटिंग करने की सुविधा है । शहर से दूर और खूबसूरत स्थल होने के कारण यह एक सुंदर पर्यटन स्थल है ।

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