अजमेर
अरावली पर्वत माला के बीच बसा शहर अजमेर मारवाड पर्यटन सर्किट का प्रमुख हिस्सा है तथा इसे राजस्थान की सांस्क्रतिक राजधानी भी कहा जाता है। ajmer sharif rajasthan
दर्शनीय स्थल
अजमेर से लगभग 16 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है यह हिन्दुओं का प्रसिद्ध तीर्थ स्थल है यहां पर कार्तिक पूर्णिमा को मेला लगता है, जिसमें बड़ी संख्या में देशी-विदेशी पर्यटक भी आते हैं। हजारों हिन्दु लोग इस मेले में आते हैं। व अपने को पवित्र करने के लिए पुष्कर झील में स्नान करते हैं। इस समय यहां पर पशु मेला भी आयोजित किया जाता है, यह मेला विश्व प्रसिद्ध है इसे देखने के लिए विदेशी सैलानी बडी संख्या में पहुंचते हैं, यहां दुनिया के एक मात्र जगतपिता ब्रह्मा मंदिर ओर प्रजापति मन्दिर समेत कई छोटे बडे मंदिर हैं। pushkar
दरगाह अजमेर शरीफ का भारत में बड़ा महत्व है। खास बात यह भी है कि ख्वाजा पर हर धर्म के लोगों का विश्वास है। यहाँ आने वाले जायरीन चाहे वे किसी भी मजहब के क्यों न हों, ख्वाजा के दर पर दस्तक देने जरूर आते हैं ।यह स्टेशन से 2 किमी़. दूर घनी आबादी के बीच स्थित है । अंदर सफेद संगमरमरी शाहजहांनी मस्जिद,बारीक कारीगरी युक्त बेगमी दालान,जन्नती दरवाजा,बुलंद दरवाजा ओर 2 अकबरकालीन देग हैं इन देगों में काजू, बादाम, पिस्ता, इलायची, केसर के साथ चावल पकाया जाता है और गरीबों में बाँटा जाता है।
आनासागर झील
शहर के बीच बनी यह सुंदर कृतिम झील यहाँ का सबसे रमणीक स्थल है । इस झील का निर्माण राजा अरणोराज ने 1135 से 1150 के बीच करवाया था । राजा अरणोराज सम्राट प्रथ्वीराज चोहन के पिता थे । बाद में मुग़ल शासक ने इसके किनारे एक शाही बाग बनवाया जिसे दौलत बाग व सुभाष उद्यान के नम से जाना जाता है । साथ ही यहाँ शाहजहाँ ने झील की पाल पर संगमरमर की सुंदर बारहदरी का निर्माण करवा कर इस झील की सुन्दरता में चार चाँद लगा दिए । यहाँ मनोरंजन के लिए बच्चों के लिए झूले, मिनी ट्रेन और बोटिंग अदि की सुविधा है ।
तारागड़ का किला
इस किले का निर्माण 11वीं सदी में सम्राट अजय पाल चोहान ने मुग़लों के आक्रमणों से रक्षा हेतु करवाया था । यह किला दरगाह के पीछे की पहाड़ी पर स्थित है । मुगलकाल में यह किला सामरिक द्रष्टिकोण से काफी महत्वपूर्ण था मगर अब यह सिर्फ़ नाम का किला ही रह गया है । यहाँ सिर्फ़ जर्जर बुर्ज, दरवाजे और खँडहर ही शेष बचे हैं । किले में एक प्रसिद्ध दरगाह और 7 पानी के झालरे भी बने हुए हैं । यहाँ एक मीठे नीम का पेड़ भी है कहा जाता है जिन लोगों को संतान नही होती यदि वो इसका फल खा लें तो उनकी यह तमन्ना पूरी हो जाती है ।
ढाई दिन का झोपडा
यह दरगाह से आगे कुछ ही दूरी पर स्थित है इसखंडहरनुमा इमारत मैं 7 मेहराब एंव हिन्दुमुस्लिम कारीगिरी के 70 खंबे बने हैं तथा छत पर भी शानदार कारीगिरी की गई है
सोनी जी की नसियां
सोनी जी की नसियां
करोली के लाल पत्थरों से बना यह खूबसूरत दिगंबर मंदिर जैन तीर्थकर आदिनाथ का मंदिर है। लाल पत्थरों से बना होने के कारण इसे लाल मंदिर भी कहा जाता है । इसमें एक स्वर्ण नगरी भी हैजिसमें जैन धर्म से सम्बंधित पोराणिक द्रश्य, अयोध्या नगरी, प्रयागराज के द्रश्य अंकित हैं । यह स्वर्ण नगरी अपनी बारीक़ कारीगिरी और पिच्चीकारी के लीये प्रसिद्दहै।
अकबर का किला (राजकीय संग्रहालय)
यह नया बाजार मैं स्थित है यहां प्राचीन मूर्तीयां,सिक्के,पेंटिंग्स,कवचआदि रखे हुए हैं।अंग्रेजों ने यहीं से जनवरी 1616 मैं मुगल बादशाह जहांगीर से भारत मैं व्यापार करने की इजाजत मांगी थी।
मेयो कोलेज
इस कोलेज की स्थापना रियासतों के राजकुमारों को अंग्रेजी शिक्षा हेतु की गई थी आज भी यहां कई बडे़ घरानो के बच्चे शिक्षा प्राप्त करते हैं इसकी भव्य इमारत सफेद संगमरमर से निर्मित है ओर कारीगिरी का शानादार नमूना है।
6 comments:
बहुत आभार इस जानकारी के लिए.
shukriyaa jaanakaarii ke li
thanks for information...
maine bhut bar ajmer gaya par meetha neem ab pata laga
mujhe ajmer bahut hi acha laga khaskar ajmer sharif or pushkar.
आप सबको किशन लाल की तरफ से बधाई
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